नई दिल्ली। जब हर चीज को लेकर राजनीतिक नफा-नुकसान का लेखा जोखा किया जाने लगे, तो स्थिति कैसी होती है, यह पद्मावति विवाद को लेकर समझा जा सकता है। यही कारण है कि फिल्म पद्मावती को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। विरोध और प्रदर्शन अब देश के कई राज्यों तक फैल चुका है। भाजपा की सत्ता वाले करीब 7 राज्य इसकी रिलीज रोकने की बात कह चुके हैं। दरअसल, देश में इसके बहाने राजनीतिक दल राजपूतों की राजनीति कर रहे हैं। राजपूत देश के 15 बड़े राज्यों मे 450-500 विधानसभा सीटों पर असर डालते हैं। इसीलिए भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां फिल्म के खिलाफ खुलकर बोल रही हैं। कांग्रेस की पंजाब सरकार ने भी इसकी रिलीज के खिलाफ है। सिर्फ पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में समर्थन में है।
आंकडे बताते हैं कि गुजरात में 17 से 18 जिलों में करीब 10 प्रतिशत मतदाता राजपूत हैं। 20 से 25 सीटों पर इनका असर है। अभी करीब 18 राजपूत विधायक हैं। उत्तर प्रदेश में 10 से 11 प्रतिशत मतदाता राजपूत हैं। इस समय राज्य में निकाय चुनाव चल रहे हैं। 14 सांसद और 78 विधायक राजपूत हैं। राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाला है। राज्य में 8-10 प्रतिशत राजपूत मतदाता हैं। करीब 28 विधायक, तीन सांसद राजपूत हैं। इसके साथ ही मध्य प्रदेश में भी अगले साल विधानसभा चुनाव होना है। सूबे में जिस प्रकार से कांग्रेस क्रियाशील हुई है, वह सत्तारूढ भाजपा और स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान के लिए परेशानी का सबब है। मध्य प्रदेश में 7 से 8 प्रतिशत मतदाता राजपूत हैं। करीब 40-45 सीटों पर राजपूत अहम। वर्तमान में 3 सांसद राजपूत हैं।
संख्याबल के आधार पर बात करें, तो सबसे अधिक 1.5 करोड़ राजपूत आबादी उत्तर प्रदेश में है, यहां 100 सीटों पर ये निर्णायक हैं। देश में राजपूतों की आबादी करीब 7.5 करोड़ है, यानी कुल आबादी की 5 प्रतिशत देश के 29 में से करीब 15 राज्यों में राजपूत विधायक और सांसद हैं। सीएम आदित्यनाथ योगी, रमन सिंह, वीरभद्र सिंह, वसुंधरा राजे, त्रिवेंद्र सिंह रावत राजपूत समुदाय से हैं। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया और जम्मू-कश्मीर के निर्मल सिंह भी राजपूत हैं। मोदी सरकार में 8 मंत्री राजपूत समुदाय से हैं। देश में अब तक चंद्रशेखर सिंह और विश्वनाथ प्रताप सिंह राजपूत प्रधानमंत्री रहे हैं। राजपूत राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, उपराष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत रहे हैं।