परीक्षा के लिए बच्चों के साथ पैरेंट्स भी रहें तैयार

गुलशन झा

विद्यार्थियों के लिए यह समय कुछ नया पढ़ने या सीखने का नहीं है। जो वे पढ़ चुके हैं उसके रिविजन में जुट जाएं। विद्यार्थी उन विषयों और पाठ्यक्रम को पहचानने की कोशिश करें, जिनमें उन्हें कठिनाई आती है। इसके बाद शिक्षक या विषय के जानकार अन्य लोगों से मिलकर उन कठिनाइयों को दूर करें। परीक्षा को लेकर माता-पिता व अभिभावक चिंतित रहते हैं, विद्यार्थी उन्हें भरोसा दिलाएं कि वे परीक्षा में बेहतर करेंगे। विद्यार्थी अनावश्यक गतिविधियों में समय बर्बाद न करें। इससे अभिभावक और अधिक चिंतित होंगे। साथ ही विषयों के रिविजन के लिए विद्यार्थियों के पास भी कम समय बचेगा, जो उन्हें अतिरिक्त तनाव देगा। विद्यार्थी अपने आप से यह कहें, कि यह कोई मेटर नहीं है, मैं प्रसन्न और तनाव मुक्त रहूंगा। ऐसा अपने आप को याद कराना विद्यार्थियों के लिए बहुत जरूरी है कि वे तनाव मुक्त और प्रसन्न रहेंगे। अगर परीक्षा परिणाम अच्छा रहता है तो यह खुशी की बात है। अगर रिजल्ट अपेक्षा के अनुसार नहीं रहा तो यह न मानें की उनके लिए दुनिया खत्म नहीं हुई है। विद्यार्थी रोज ध्यान करें, भले ही थोड़ी ही देर के लिए।

अक्‍सर माता-पिता अपने बच्‍चों पर पढ़ाई को लेकर यह बोझ डाल देते हैं कि अगर उनके परीक्षा में कम नंबर आए, तो वो खुद सोसायटी में या अपने दोस्‍तों और परिवार वालों को क्‍या मुंह दिखाएंगे। आपने भी अपने आसपास या फिर खुद अपने घर में ये सब होते हुए देखा ही होगा। आप अपने बच्‍चे के लिए सोसायटी के हिसाब से उम्‍मीदें न लगाकर रखें। इससे उसका मानसिक बोझ बढ़ सकता है।
जब बच्‍चे के कम नंबर आते हैं, तो पैरेंट्स खुद अपनी परवरिश पर शक करने लगते हैं। उन्‍हें लगता है कि उनकी किसी कमी के कारण उनका बच्‍चा फेल हो गया है या फिर उसके नंबर कम आए हैं। अगर आपके बच्‍चे के नंबर आपकी उम्‍मीद से कम आए हैं, तो आप खुद को कम आंकना या दूसरों से कम बेहतर समझना न शुरू कर दें।

अपने बच्चों को टाइम मैनेज करना जरूर सीखाना चाहिए। अगर आप उन्हें टाइम मैनेज करना सिखाते हैं तो उन्हें इससे काफी मदद मिलने वाली हैं। कोशिश करें की उन्हें एग्जाम से 1 महीना पहले ही टाइम मैनेज करना सिखा दें। जब भी वह पढ़ाई के लिए बैठ रहे हैं कोशिश करें की पढ़ाई के समय उनके आस- पास ही बैठे। ऐसे में वह अच्छे से पढ़ाई करेगे। पढ़ाई से मन भटकाने वाली चीजों को उनसे दूर रखें। कुछ दिनों के लिए ही सही लेकिन उनसे उन चीजों को दूर रखें जिससे की उन्हें डिस्ट्रैक्शन हो सकता है। कोशिश करें की उनका साथ रहें और पढ़ने को कहते रहें। थोड़ा ब्रेक लेकर ही सही लेकर दिन में उन्हें 4 घंटे पढ़ाई करवाए।

पढ़ाई के लिए टारगेट बनाए इसके साथ ही आप उनका टारगेट सेट कर दें। इनसे उनकी पढ़ाई मिनटों में हो जाएगी। जिस विषय में आपको बच्चा कमजोर है उस विषय की पढ़ाई पहले से शुरु कर दें।
हर अभिभावकों की अपेक्षा रहती है कि उनकी संतान परीक्षा अच्छे से अच्छा नंबर लाए। इसी अपेक्षा में वे जाने-अनजाने बच्चों पर अतिरिक्त मानसिक दबाव और तनाव डाल देते हैं। बच्चे के दिमाग में भी अपने माता-पिता की अपेक्षा पूरी करने के लिए अतिरिक्त मानसिक तनाव आ जाता है। जिसके चलते उनकी पढ़ाई ठीक से नहीं हो पाती । परीक्षा परिणाम अपेक्षित नहीं रहने से विद्यार्थियों के मन में निराशा की भावना आ जाती है। कई बार परीक्षा में असफल होने या अभिभावकों की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरने पर विद्यार्थी गलत कदम भी उठा लेते हैं। अब समय है कि विद्यार्थी यह अच्छे तरीके से जान लें कि परीक्षाओं को लेकर तैयारी कैसे की जाए। साथ ही अभिभावक भी यह समझें की परीक्षाओं की तैयारी कर रहे बच्चों के साथ उनका व्यवहार कैसा हो। इससे बच्चे प्रसन्न मन से पढ़ाई करें और उन पर अतिरिक्त मानसिक तनाव न रहे।

(लेखिका एक्सिस ट्यूटोरियल्स, बुराड़ी, नई दिल्ली की डायरेक्टर हैं।)

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