दीप्ति अंगरीश
आपने कंसीव किया, तो आज से नौ महीने तक संभलकर रहें। कहने का तात्पर्य है कि आप डायट पर फोकस करें। इसमें प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम, फोलिक एसिड और विटामिन सी जरूर होने चाहिए। कारण आपकी डायट ही गर्भ में पल रहे बच्चे का पोषण होता है। भावी मां को हर दिन 300 कैलोरी लेने की आवश्यकता होती है।
फोलिक एसिड
फोलिक एसिड नहीं लेने से बच्चे को दिमाग या रीढ़ की बीमारी हो सकती है। इससे बचने के लिए डायट में फोलिक एसिड शामिल करें। इसके प्रमुख स्त्रोत हैं- हरी पत्तेदार सब्जियां, बीन्स, मल्टीग्रेन ब्रेड, संतरे का जूस और नाशपाती। गायनीकाॅलिजिस्ट की सलाह से आप रोजाना एक गोली फोलेट की भी लें। बता दें कि फोलिक एसिड आपको गर्भावस्था के नौ महीने के दौरान लेना होता है।
विटामिन – सी
गर्भावती महिलाओं को कम से कम 70 मिलीग्राम विटामिन सी का सेवन करना चाहिए। इसकी पूर्ति के लिए अंगूर, मौसमी जैसे फलों और ब्रोकली, ब्रसेल्स स्प्राउट्स और टमाटर का सेवन करें।
कार्बोहाइड्रेट
कार्बोहाइड्रेट के लिए ब्रैड और अनाज ऊर्जा का प्रमुख स्रोत हैं। साबुत अनाज तथा अन्य पोश्ज्ञक पदार्थों से शरीर को लौह, विटामिन, रेषे और यहां तक कि प्रोटीन जैसे कई महत्वपूर्ण पोशक तत्व मिलते हैं। गर्भवती महिलाओं को अपने वज़न के हिसाब से 6 से 11 सर्विंग्स कार्बोहाइड्रेट की अवश्य डायट में लेनी चाहिए।
आयरन
शरीर में रक्त के निर्माण में आयरन का नियमित सेवन अति आवश्यक होता है, लेकिन प्रैग्नेंसी के दौरान इसकी जरूरत में इजाफा होता है। खासकर अंतिम तीन महीने में। आयरन के ध्मोत में शामिल हैं – अनाज, मांस, मछली व अंडा, तिल, गुड़, हरी पत्तेदार सब्जियां आदि।
कैल्शियम
आप जानती हैं कि कैल्शियम का सीधा ताल्लुक हेल्दी बोन्स से है, लेकिन गर्भावस्था में इसके सेवन में बरती ढील बच्चे की हड्डियों के विकास के लिए घातक हो सकती है। इसके प्रमुख स्त्रोत हैं- दूध व इससे बने उत्पाद, योगर्ट, हरी पत्तेदार सब्जियां। गर्भावस्था में हर दिन 1000 मिलीग्राम कैल्शियम की आवश्यकता होती है। यानी रोजाना की डायट में 4 सर्विंग्स डेयरी कैल्शियम की जरूर हो।
फाइबर
आपके डायजेस्टिव सिस्टम को दुरुस्त रखता है फाइबर युक्त डायट। यानी कब्ज की समस्या आपके पास नहीं फटकती। लेकिन प्रैग्नेंसी में कब्ज की समस्या अधिक होती है। इससे बचने के लिए डायट और लाइफस्टाइल में कुछ परिवर्तन लाएं, जैसे-छह से आठ गिलास पानी रोज पिएं, डिनर से पहले ही पर्याप्त पानी पिएं, डायट में रफेज वाला खाना अधिक शामिल करें, जैसे- चोकर युक्त आटा, हरि पत्तेदार सब्जियां, फल, ड्राई फू्रटस आदि।
कुछ हिदायतें
– रोजाना की डायट में तीन तीन स्माॅल मील और तीन लाइट स्नैक्स जरूर लें।
– तले हुए खाने से परहेज रखें।
– भाप में पकी हुई चीजों को सेवन अधिक करें।
– तेज खुशबू और मिर्च मसाले वाले भोजन से भी परहेज रखें।
– खाना न अधिक गर्म खाएं और ना ही ठंडा। साथ ही बासी भोजन से बचें।
– चाइनीज फूड, डिब्बाबंद फूड, फ्रोजन किए हुए फूड, किसी भी तरह के सॉस व सिरका युक्त भोजन न खाएं।
– एक बार में ज्यादा खाने के बजाय हर दो से तीन घंटे में कुछ न कुछ
खाते रहें।
– सोने के बाद बिस्तर से एकदम न उठें और खाना खाने के तुंरत बाद न लेटें, झुक कर या लेट
कर खाने से पेट पर ज्यादा दबाव पड़ता है।
( फाॅटिस हस्पताल की सीनियर डायटीशियन मानसी चैधरी से बातचीत पर आधारित)