कमलेश भारतीय
यह एक फिल्मी गाना है
किताबें बहुत सी पढ़ी होंगी तुमने
क्या कोई चेहरा भी तुमने पढ़ा है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मसूरी के प्रतिष्ठित लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी में प्रशिक्षण ले रहे आईएएस अधिकारियों से जनता की बेहतर सेवा करने के लिए किताबों से निकल कर जनता से जुडऩे की क्षमता विकसित करने का आह्वान किया है। प्रधानमंत्री मोदी प्रशिक्षु आईएएस अधिकारियों को प्रशिक्षण के बाद जिंदगी के लिए तैयार होने के लिए टिप्स देते मोदी ने कहा कि किताबों से सीखना अच्छी बात है लेकिन उन्हें आसपास के लोगों के प्रति सचेत रहना चाहिए।
कम से कम अधिकारियों को उस आदमी का चेहरा अवश्य ही आंखों में रखना चाहिए, जिसकी ओर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपनी आत्मकथा में संकेत दिया है। यह भी सही बात है कि आजादी से पहले इन अधिकारियों का काम अंग्रेजी राज के संरक्षण का था लेकिन अब तो आपका लक्ष्य जनता की समृद्धि और कलयाण करने का होना चाहिए। इसे अवश्य अपने जीवन का आधार बनाएं। अधिकारियों के बारे में बहुत सी बातें की जा सकती हैं। आपने पत्रकारिता की यात्रा में पंजाब से लेकर हरियाणा तक अनेक अधिकारियों से समाचारों के लिए जान पहचान हुई, उनका व्यवहार देखा, कार्य शैली देखी। बहुत से चेहरे याद आ रहे हैं। काम करने के तौर-तरीके याद आ रहे हैं। मैंने हमेशा ही मित्रों में अपनी बातचीत में कहा कि इस छोटे से जीवन में काम करने वाले और काम न करने वाले दोनों तरह के अधिकारी देखने जानने का मौका मिला है।
सबसे पहहले याद आते हैं, पंजाब के नवांशहर में एसडीएम और बाद में आईएएस पद पर पहुंचे अधिकारी का। मंत्र क्विक एक्शन। मैं जब प्रिंसीपल बना तब उनसे प्रशासन का गुरूमंत्र पूछने गया था। उन्होंने कहा हर अधिकारी को क्विक एक्शन, करना चाहिए। फाइल या कोई मुद्दा आपके सामने आता है, तो सोच विचार कीजिए। मन की सलाह लिजिए और फिर एकदम क्विक एक्शन शुरू कर दीजिए।
कल करे सो आज कर, आज करे सो अब
पल में प्रलय हो जाएगी, बहुरि करेगा कब?
फैसले का क्षण, काम करने का पल अभी है। समस्याएं इसलिए सुरक्षा की तरह मुंह खोले बढ़ती जाएंगी, यदि आपने तुरंत कार्यवाही शुरू नीं की। हिसार में उपायुक्त एवं आयुक्त पद पर रहे युद्धवीर सिंह ख्यालिया उदाहरण हैं, समाज सेवा का। रक्तदान का अभियान चलाने का। उनकी सेवाएं सेवानिवृति के बाद भी जारी हैं। सिरसा को देश का सबसे स्वच्छ जिले का पुरसकार भी दिलाया। खुले में शोच से मुक्त किया। हिसार की उपायुक्त रही श्रीमती दीप्ति उमाशंकर ने बाल संसद के एक बच्चे को जिसे कैमरी के बालाश्रम में लडडू गोपाल के नाम से जाना जाता है, उसे नया जीवन प्रदान करने का श्रेय जाता है। उस बच्चे को मां-बाप ने अलग होने के बाद मरने के लिए छोड़ दिया था। जिसे वे बाल संसद से सिविल अस्पताल भर्ती करवा, फिर बालाश्रम में छोड़ कर उसे नवजीवन दिया। वे बालाश्रम में भी लड्डू गोपाल को देखने पहुंची और वह उनसे ऐसे लिपट गया, मानों उसे उसके मां-बाप मिल गए हों। दीप्ति उमाशंकर के समय ही लिंगानुपात ऊपर उठा था, जिला हिसार में। अनेक उदाहरण हैं, अनेक बातें।