रांची । आज विश्व में पर्यावरण दिवस है। राज्य एवं केन्द्र सरकार के द्वारा पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्द्धन के दावों के बीच राष्ट्रीय विकास के नाम पर सम्पूर्ण झारखण्ड राज्य के विनाश का खाका तैयार है। झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि विश्व सभ्यता, सुरक्षा एवं आधुनिकता के नाम पर चाहे जादूगोड़ा, मुसाबनी का युरेनियम उत्खनन कार्य हो या फिर राष्ट्र को फौलादी स्वरूप देने के लिए कोल्हान-सरांडा का लौह अयस्क उत्खनन हो, या फिर राष्ट्र को उर्जा शक्ति देने की जरूरत के लिए सम्पूर्ण संथाल परगना से लेकर उत्तरी एवं दक्षिणी छोटानागपुर, पलामू प्रमण्डल के भूगर्भ में समाहीत कोयले का उत्खनन हो। राज्य में 4 लेन एवं 6 लेन के नाम पर सड़कीय तेजी के लिए मनोरम घाटियों को समाप्त करने का पहल हो या रिहायशी ईलाकों में अट्टालिकाएं निर्माण करने को बगान, तालाब पोखरा का विनाश हो।
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि झारखण्ड सहित देश के सभी आदिवासी-मूलवासी बहुल ईलाके सहित जैसे हिमाचल, उत्तराखण्ड, उत्तरपूर्व के राज्य उड़िसा, छत्तीसगढ़ में के भूगर्भों के मूल चरित्र को ही समाप्त करने का कार्य तेजी से चल रहा है। पर्यावरण दिवस के नाम पर लाखों रुपए प्रचार एवं प्रसार पर खर्च किये जा रहे हैं एवं इस निमित्त प्रचारित होने वाले विज्ञापन हॉर्डिंग्स में धड़ल्ले से प्लास्टीक के बैनर एवं केमिकल युक्त रंग व्यवहार किए जा रहे हैं। पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में हम सब को यह प्रण करना चाहिए कि शहरीकरण, आधुनिकिकरण, उपभोक्तावादी समाज के निर्माण से पहले अपने वायुमंडल में फैले प्रदूषण एवं प्राकृतिक स्वरूप को मूल रूप से बनाए रख कर ही विकास की अवधारणाएं तय करनी होगी।
झामुमो नेता ने कहा कि झारखण्ड के देवनद् दामोदर, ईचाखड़कई, शंख, अजय, स्वर्णरेखा आदी जीवन रेखा रूपी जलधारा को कई स्थानों पर रोक कर बड़े-बड़े जलाशयों के निर्माण के कारण सैकड़ो गाँवों का अस्तित्व ही समाप्त हो जाना, लाखों लोगों के माटी-भीठा को ग्रास कर पड़ोसी राज्यों की जरूरतेु पुरी करना इस राज्य का एक दंश बन गया है। उन्होंने कहा कि यहाँ के जलाशयों से झारखण्ड की मिट्टी सिंचित नहीं होती और न ही झारखण्ड के मूलवासी-आदिवासियों के पेय जल की जरूरत पुरी हो पाती है, फिर भी हम विश्व पर्यावरण दिवस पर राज्य सरकार द्वारा पेश अवास्तविक आँकड़ों को सही समझ खुशी मनाते हैं एवं विश्व पर्यावरण दिवस जिन्दाबाद का नारा बुलन्द करते हैं।