कंंण-कंण में जब राम बसे हैं
किसके हैं नहीं किसके राम
आने को हैं चलो अयोध्या
देखो-देखो सभी के राम
लगन लगी है अगन जगी है
हैं झूम रहे सब नर-नारी
वसुंधरा का संंताप मिटेगा
अब होगी धरती सुखकारी
पुरुषोत्तम के प्रताप से फिर
दमकेगा भारत का ललाट
नाच उठेंगे पग-पग जगके
उत्सवन होगा ऐसा विराट
राम रचेंगे राम बसेंगे
राम रमेंगे जन-जन में फिर
भजन भाव से मिटेगा द्वेष
सुख-शांति रहेगी होकर थिर
– डाॅ एम डी सिंह