आरजीकॉन 2025: 2040 तक भारत में गाइनोकोलॉजी कैंसर के मामले 55% बढ़ जाएंगे; विशेषज्ञों ने तुरंत कदम उठाने और रोकथाम के प्रयासों की वकालत की

नई दिल्ली। राजीव गांधी कैंसर इंस्टिट्यूट एंड रिसर्च सेंटर (आरजीसीआईआरसी) में आयोजित 23वें वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ‘आरजीकॉन 2025’ के दौरान गाइनोकोलॉजी कैंसर के मामलों में रोकथाम के उपायों और उपचार के नवीन तौर-तरीकों के महत्व पर जोर दिया गया। इस वर्ष के सम्मेलन की थीम “गायनेकोलॉजिकल कैंसर्स: इनोवेटिंग, इंटीग्रेटिंग एंड अपडेटिंग” ने गाइनोकोलॉजी कैंसर से लड़ाई में लगातार तकनीकी उन्नति की विशेष जरूरत को रेखांकित किया।
कैंसर उपचार के क्षेत्र में हुई अत्याधुनिक उन्नति पर विचार-विमर्श के लिए ‘आरजीकॉन 2025’ दुनियाभर की 1200 से ज्यादा फैकल्टी मेंबर और डेलीगेट्स को एक छत के नीचे लेकर आया। सम्मेलन (कांफ्रेंस) का फोकस मरीजों की सर्वाइवल रेट बेहतर करने के लिए इम्यूनोथेरपी और सर्जिकल तकनीकों सहित गायनेकोलॉजिकल कैंसर के उपचार की दिशा में हुई नई-नई खोजों और तकनीकी उन्नति पर था।
आरजीसीआईआरसी के चेयरमैन श्री राकेश चोपड़ा ने दुनियाभर में सभी तरह के कैंसरों में 19% का योगदान देने वाले गायनेकोलॉजिकल कैंसर के बढ़ते संकट पर बात रखी, खासकर भारत में इस प्रकार के कैंसर के मामलों में चिंताजनक बढ़ोतरी देखी जा रही है। “केवल सर्वाइकल कैंसर से ही यहां 77000 मौतें दर्ज हुईं हैं, और अक्सर देर से पता चलने वाले ओवेरियन कैंसर के मामलों में जीवित रहने की 50% से भी कम संभावना होती है,” उन्होंने कहा। उन्होंने जोर देते हुए आगे कहा, ” अधिकांश गायनेकोलॉजिकल कैंसर की रोकथाम एचपीवी वैक्सीन लगाने या स्क्रीनिंग से हो सकती है, और उपचार भी संभव है, बशर्ते शीघ्र पता चल जाए। 2040 तक गायनेकोलॉजिकल कैंसर के मामलों की संख्या में 55% की बढ़ोतरी के बारे में सचेत करते हुए श्री चोपड़ा ने जागरूकता में कमी और हैल्थकेयर व्यवधानों के संबंध में तुरंत कदम उठाने की वकालत की। इस दिशा में आरजीसीआईआरसी विशेष विभाग के माध्यम से वार्षिक तौर पर 7450 मामले और करीब 650 सर्जरी संभालते हुए कैंसर के खिलाफ लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
आरजीसीआईआरसी के सीईओ श्री डी. एस. नेगी ने इंस्टिट्यूट द्वारा कैंसर के डाइग्नोसिस और उपचार में अत्याधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल पर प्रकाश डाला। “विश्वस्तरीय कैंसर केयर प्रदान करने में दा विंची रोबोट और साइबर-नाइफ जैसी उन्नत टेक्नोलोजियों के इस्तेमाल में आरजीसीआईआरसी को महारत हासिल है। हैल्थ केयर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के इस्तेमाल से कैंसर के मैनेजमेंट में क्रांति आनी सुनिश्चित है, इसको देखते हुए आरजीसीआईआरसी ने प्रक्रिया सुधार और मरीजों की बेहतर देखभाल के लिए बड़े पैमाने पर एआई के इस्तेमाल के लिए व्यापक योजना पर काम करना शुरू कर दिया है।”
फ्रांस की टूलूज यूनिवर्सिटी में ऑन्कोलॉजी के मानद प्रोफेसर डॉ. डेनिस कर्ल्यू ने सम्मेलन के मुख्य अतिथि के तौर पर भाग लिया। डॉ. कर्ल्यू ने कैंसर केयर और ग्लोबल ऑन्कोलॉजी रिसर्च को आगे बढ़ाने में आरजीसीआईआरसी के योगदान की सराहना की।
सम्मेलन में विशिष्ट अतिथि के तौर पर पधारे एनसीआई के भूतपूर्व डायरेक्टर, बीआरआईआरसीएच के पूर्व प्रमुख और एम्स दिल्ली में रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के पूर्व हैड प्रोफेसर जी. के. रथ ने भारत के कैंसर रिसर्च के केंद्र के रूप में उभार पर प्रकाश डाला, खासकर रोकथाम योग्य कैंसर और एचपीवी से संबंधित कैंसर के महामारी विज्ञान का अध्ययन करने में। “भारत में कैंसर की घटनाओं की विविधता इस बीमारी से उपजी कई तरह की चुनौतियों को समझने और उनका समाधान करने का अद्वितीय अवसर प्रदान करती हैं। उल्लेखनीय बात यह है कि भारत में 60% कैंसर के मामले तम्बाकू और संक्रमण से संबंधित कैंसर, जैसे सर्वाइकल कैंसर, के हैं, जिनकी रोकथाम की जा सकती है। एक विशाल आबादी वाले विकासशील देश के रूप में भारत कैंसर की रोकथाम, शीघ्र डाइग्नोसिस और उपचार के क्षेत्र में अमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, जो इसे कैंसर नियंत्रण पर ग्लोबल रिसर्च के लिए एक केंद्र के तौर पर स्थापित करता है।”
एक विजनरी लीडर और क्लीनिकल पायनियर के तौर पर 1996 में इंस्टिट्यूट की स्थापना से लेकर अब तक इसकी विरासत को आकार देने वाले आरजीसीआईआरसी के मेडिकल डायरेक्टर और जेनिटो-यूरो ऑन्कोलॉजी सर्विसेज के चीफ डॉ. सुधीर रावल ने गायनेकोलॉजिकल कैंसरकेयर के क्षेत्र में अत्याधुनिक रिसर्च, इनोवेशन और वैश्विक तालमेल को आगे बढ़ाने में आरजीकॉन 2025 की भूमिका की सराहना की। “गायनेकोलॉजिकल ऑन्कोलॉजी में हुई उल्लेखनीय प्रगति हमारी फैकल्टी और टीम की सामूहिक उत्कृष्टता और अटल प्रतिबद्धता का द्योतक है। यही सहयोग मेडिसिन के भविष्य की कुंजी है।”
1996 में आरजीसीआईआरसी की स्थापना से संस्थान के मजबूत संस्थापक स्तम्भ माने जाने वाले और डायरेक्टर ऑफ सर्जिकल ऑन्कोलॉजी डॉ. ए.के. दीवान ने अपने भाषण में इंस्टिट्यूट की क्रांतिकारी यात्रा पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने गर्मजोशी और सिलसिलेवार तरीके से बताया कि कैसे आरजीसीआईआरसी ने गाइनोकोलॉजिक ऑन्कोलॉजी की सब-स्पेशलिटी समेत सर्जिकल ऑन्कोलॉजी की छोटी-छोटी विशेष शाखाओं की सबसे पहले शुरुआत की। उन्होंने गाइनोकोलॉजिक ऑन्कोलॉजी को एक ऐसा क्षेत्र बताया जो “टेक्नोलॉजिकल चुनौतियां पार करके महिलाओं के जीवन पर गहरा प्रभाव डालती है।” उन्होंने विशेष रूप से संस्थान द्वारा रोबोटिक सर्जरी को अपनाने की दूरगामी सोच पर प्रकाश डाला, और याद दिलाया कि कैसे 2011 में गवर्निंग काउंसिल की त्वरित स्वीकृति ने आरजीसीआईआरसी को अपना पहला दा विंची सिस्टम हासिल करने में सक्षम बनाया, जिससे यह भारत में इस अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी को सबसे पहले अपनाने वालों में शामिल हो गया।
‘आरजीकॉन 2025’ की आयोजन समिति की सचिव और आरजीसीआईआरसी में सीनियर कंसल्टैंट एवं गाइनकोलॉजिक ऑन्कोलॉजी की हैड ऑफ द डिपार्टमेंट डॉ. वंदना जैन ने सम्मेलन में भाग लेने के लिए वैश्विक मेडिकल परिवार का आभार व्यक्त किया। सम्मेलन की भावना व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, “इस कांफ्रेंस से आइए हम एकता, नवाचार और साझा उद्देश्य की भावना को आगे लेकर जाएं, जो आरजीकॉन 2025 का मूल मंत्र है। आइए हम अपनी सीमाओं को आगे बढ़ाते रहें, नवाचार को अपनाएं और मरीज की देखभाल में उत्कृष्टता के लिए प्रयास करें। हम साथ मिलकर चुनौतियों को अवसरों में बदल सकते हैं, और दुनिया भर में महिलाओं के जीवन पर सार्थक प्रभाव डाल सकते हैं।”
इस ऐतिहासिक सम्मेलन के आयोजन में डॉ. जैन की लीडरशिप के साथ-साथ उनके अथक प्रयासों का अमूल्य योगदान रहा है। उनके विजन और समर्पण के ही कारण सुनिश्चित हुआ कि आरजीकॉन 2025 न केवल विशेषज्ञों के मध्य सहयोग स्थापित करे, बल्कि भविष्य में होनी वाली ऑन्कोलॉजी कॉन्फ्रेंसों के लिए मानक स्थापित करते हुए गायनेकोलॉजिकल कैंसर के उपचार और मरीज की देखभाल के क्षेत्र में हुए संभावनाओं से भरे हुई उन्नति सबसे सामने आये।

Leave a Reply

Your email address will not be published.