संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावत’ का विरोध कर रही करणी सेना ने प्रसून जोशी को जेएलएफ में शामिल न होने देने की चेतावनी दी थी. जयपुर साहित्य महोत्सव पर ‘पद्मावत’ विवाद का साया, सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी पीछे हटे.
जयपुर। संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावत’ के विवाद का असर जयपुर साहित्य महोत्सव (जेएलएफ) पर पड़ता दिखाई दे रहा है. सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष और जाने-माने गीतकार प्रसून जोशी ने इससे अपने कदम पीछे खींच लिए हैं. शनिवार को उन्होंने कहा, ‘मैं इस बार जेएलएफ में भाग नहीं ले पा रहा हूं. इस वर्ष साहित्य और कविता के प्रेमियों के साथ जेएलएफ में चर्चा न कर पाने का मुझे दुख रहेगा.’ प्रसून जोशी ने आगे कहा, ‘“मैं इस बार Jlf में भाग नहीं ले पा रहा हूँ . साहित्य और कविता के प्रेमियों के साथ Jlf में चर्चा और विचार विमर्श इस वर्ष न कर पाने का दुःख मुझे रहेगा, पर मैं नहीं चाहता कि मेरे कारण साहित्य प्रेमियों,आयोजकों और वहाँ आए अन्य लेखकों को कोई भी असुविधा हो और आयोजन अपनी मूल भावना से भटक जाए. रही बात फ़िल्म से जुड़े विवादों की, यहाँ मैं एक बार पुनः यह कहना चाहता हूँ कि फ़िल्म पद्मावत को, नियमों के अंतर्गत सुझावों को जहाँ तक सम्भव हो सम्मिलित करते हुए, सकारात्मक सोच के साथ, भावनाओं का सम्मान करते हुए ही प्रमाणित किया गया है. ये पूरी निष्ठा से एक संतुलित और संवेदनशील निर्णय का प्रयास है. अब थोड़ा विश्वास भी रखना होगा. विश्वास एक दूसरे पर भी और हमारी स्वयं की बनायी प्रक्रियाओं और संस्थाओं पर भी. विवादों की जगह विचार विमर्श को लेनी होगी, ताकि भविष्य में हमें इस सीमा तक जाने की आवश्यकता न पड़े.”’
जयपुर साहित्य महोत्सव 25 जनवरी से शुरू हुआ है. इसमें प्रसून जोशी शनिवार को 2.30 बजे ‘मैं और वह : कन्वर्सेशन विद माइसेल्फ’ सत्र में शामिल होने वाले थे. प्रसून जोशी के पीछे हटने की वजह करणी सेना की चेतावनी को माना जा रहा है. खबरों के मुताबिक 19 जनवरी को करणी सेना ने कहा था कि प्रसून जोशी को जेएलएफ में भाग नहीं लेने दिया जाएगा. उधर, प्रसून जोशी ने शनिवार को फिल्म ‘पद्मावत’ को सेंसर बोर्ड से मंजूरी मिलने पर भी सफाई दी. उन्होंने कहा, ‘फिल्म को नियमों के अनुसार सभी सुझाओं को शामिल करते हुए सकारात्मक सोच के साथ और सभी भावनाओं का सम्मान करते हुए प्रमाणित किया गया है.’ प्रसून जोशी ने फिल्म ‘पद्मावत’ के प्रमाणन को निष्ठा के साथ किया गया संतुलित और संवेदनशील निर्णय बताया.
सेंसर बोर्ड ने फिल्म ‘पद्मावत’ का नाम बदलने (जो पहले पद्मावती था) और कुछ दृश्यों को हटाने के साथ मंजूरी दी थी जो 25 जनवरी को रिलीज हो चुकी है. हालांकि, करणी सेना और अन्य हिंदू संगठन फिल्म में रानी पद्मावती चरित्र चित्रण को गलत बताते हुए इस पर पाबंदी लगाने की मांग कर रहे हैं. फिल्म रिलीज होने के बाद करणी सेना ने कई जगहों पर उग्र प्रदर्शन किए हैं.