स्वामी विवेकानंद के संदेश घर घर पहुंचाने हेतु युवा मार्च का आयोजन

पटना। उठो, जागो और संघर्ष करो, जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो की गगनभेदी घोष के साथ पटना की सड़कों पर पटना के युवा और छात्र शक्ति ने स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन पर विगत 12 जनवरी को एक मार्च का आयोजन किया। स्वामी जी के संदेश को घर पर पहुंचाने निकले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लब्धप्रतिष्ठित कम्युनिकेशन स्किल्स की संस्थान ब्रिटिश लिंगुआ के उत्साही छात्रों ने विवेकानंद के विभिन्न संदेशों को प्लेकार्ड और हस्तलिखित पोस्टरों के माध्यम से जनमानस की आत्मा को झकझोर कर रख दिया।

पटना के सबसे बड़े कॉलेज ए एन कॉलेज परिसर से लेकर बोरिंग रोड चौराहा तक की दूरी तय करने वाले छात्र और युवाओं का नेतृत्व ब्रिटिश लिंगुआ के संस्थापक और अंग्रेजी के प्रख्यात विद्वान डॉ. बीरबल झा कर रहे थे। इस भव्य मार्च से पहले ए एन कॉलेज के एस एन सिन्हा सभागार में “स्किल्स फॉर यूथ टू स्ट्राइव एंड ट्राइव” विषय पर एक सेमिनार का भी आयोजन किया गया था जिसमें उपस्थित प्रमुख विद्वानों में पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. संजय पासवान, पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार प्रोफेसर नागेंद्र कुमार झा, ए एन कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर प्रवीण कुमार, NSS ए एन कॉलेज की समन्वयक प्रो. रत्ना अमृत, बिहार के ईख आयुक्त, वरिष्ठ आइ ए एस अधिकारी श्री अनिल कुमार झा आदि उपस्थित रहे।

मार्च की समाप्ति पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए ब्रिटिश लिंगुआ के संस्थापक डॉ बीरबल झा ने कहा कि कोई भी समाज अपने महापुरुषों की उपलब्धियों को याद कर उनके बताए हुए रास्ते पर चलकर ही अपना भविष्य बेहतर बना सकती है। स्वामी विवेकानंद की कृत्यों को याद करते हुए डॉ झा ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने विश्व धर्म संसद में जिस प्रकार से भारतीय सभ्यता और संस्कृति के विराट स्वरूप का दर्शन सारे विश्व को कराया ऐतिहासिक है। जब सारा देश सैकड़ों वर्षों की गुलामी और गुलामी से पैदा हुई आत्महीनता से ग्रसित थी ऐसे समय में कोई संन्यासी ही देश की सुप्त शक्ति को जगाकर गुलामी की बेड़ियों को तोड़ना और स्वाभिमान जगाना सिखा सकता था।

डॉ बीरबल झा ने कहा कि वर्ष 1993 में स्थापित ब्रिटिश लिंगुआ ने स्वामी जी के रास्तों पर चलकर ही राष्ट्र और समाज हित सर्वोपरि मानकर इससे पहले भी कई मार्च का सफलतापूर्वक आयोजन किया है। वर्ष 2001 में 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्मदिन पर उनके सत्य और अहिंसा के संदेश के साथ “गांधी मार्च”, वर्ष 2003 में जब आसाम में 29 बिहारियों की उग्रवादियों द्वारा की गई हत्या के खिलाफ शांति मार्च से लेकर “महादलित युवाओं के साथ मार्च” सहित दिल्ली में पाग मार्च, कोरोना महामारी के समय 2020 में” नमस्ते मार्च ” वर्ष 2024 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती पर “अटल मार्च” आदि का सफलतापूर्वक आयोजन किया है।

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